'गांधी' परिवार और कांग्रेस संगठन में चल रहा है 'द्वंद्व '


सुरेश शर्मा 


भोपाल। एक खबर को दो दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। जब से 23 प्रतिष्ठित कांग्रेसियों ने संंगठन में बदलाव का पत्र सोनिया गांधी को लिखा है पार्टी असहज हो गई है। राज्यसभा के अधिकांश बड़े नेता और लोकसभा के दमदार नेताओं के मिश्रण वाले इस पत्र ने गांधी परिवार की हवा खिसका दी है। इस पत्र के बाद दो प्रकार की बातें राजनीतिक बाजार में शुरू हो गई हैं। पहली यह कि गांधी परिवार के प्रति यह असंतोष है जिससे छुटकारा पाने के लिए प्रयास शुरू हुआ है। दूसरा संगठन को मोदी से मुकाबला करने के लायक बनाया जाये। जिसमें नीतियां हों और कांग्रेस पुराने दमखम के साथ दिखाई दे। यहां फिर से नेतृत्व की क्षमता को परखा जाने लगा है। राहुल गांधी ने कह दिया कि यह भाजपा के इशारे पर लिखा गया पत्र है। बाद में इसका खंडन हुआ। लेकिन यदि कांग्रेस के प्रभावशाली 23 नेता यदि भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। या भाजपा से प्रभावित नेता कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं को प्रभावित करने की स्थिति में हैं तब यह समझना जरूरी है कि आखिर कांग्रेस में कितनी भीतर तक सेंधमारी की जा चुकी है। यदि सत्य है तब भी गांधी परिवार की कांग्रेस से पकड़ समाप्त हो चुकी है। इसलिए जरूरी है कि कांगे्रस की सर्विस कराई जाये और इंजन को दुरस्त कराया जावे। यदि ऐसा नहीं हुआ तब तीसरी बार फिर से विपक्ष का नेता बनाने की ताकत कैसे मिलेगी?



नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उनके विरोध में तय करके लिखने वाले लेखकों ने भी अब लिखना शुरू कर दिया है कि मोदी को केवल मोदी ही हरा सकता है। इसका मतलब साफ है कि मोदी लोकप्रियता के इतने ऊंचे पायदान पर आकर खड़े हैं कि उनकी सहज गलती को भी मतदाता नजरान्दाज कर देगा। 370 को समाप्त करना और चीन को घुटने के बल ला देना इतना बड़ा काम है कि मोदी लगभग प्रधानमंत्रियों से आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं। राम मंदिर के लिए रास्ते खोलने और भूमि पूजन ने वादों के प्रति विश्वास का नया अध्याय लिख दिया है। इसलिए लेखकों का मत भी बदलने लगा है। विरोध की जानकारी रखते हुये अनदेखी करना भी मोदी का सबसे बड़ा गुण है। अब कांग्रेस और गांधी परिवार को भी इन लेखकों की भांति मोदी की गलती का इंतजार है। लेकिन 2024 से पहले कोई गलती की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस की हालात पर चिन्ता करके सही काम किया है। यदि राजनीति का पाठ भूल चुके गांधी परिवार को इसमें भी समझ का प्रदर्शन करने से परहेज है तो वह जाने।



गांधी परिवार की राजनीति की चूक यह है कि उन्होंने दिग्गजों के पत्र को गांधी परिवार के खिलाफ पेश करके अपनी कुसी कुछ दिन के लिए तो बचा ली लेकिन कांग्रेस की नैया को एक फिट और पानी में नीचे उतार लिया। मोदी का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी नहीं अपितु एक विजनरी नेता की जरूरत है। अब विजनरी कहां से लायें और मिल भी गया तो उसका साथ कौन-कौन देगा यह सवाल गंभीर है? यही कारण है कि इन दिनों कांग्रेस में कांग्रेस और गांधी परिवार के बीच द्वंद्व चल रहा है। कौन कांग्रेस को बचायेगा और कौन गांधी परिवार को, इतिहास उसकी प्रतीक्षा कर रहा है?